अक्षय जीवन सिटी, कादेड़ा, चाकसू, जयपुर
जय श्री माँई
प्राचीन तंत्र शास्त्रों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है- 1- काली, 2- तारा, 3- षोड़षी, 4- भुवनेश्वरी, 5- छिन्नमस्ता, 6- त्रिपुर, भैरवी, 7- धूमावती, 8- बगलामुखी, 9- मातंगी, 10- कमला, । इन सबकी साधना का अपना ही महत्तव हैं लेकिन मां भगवती श्री बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में विशिष्ट माना गया हैं।
माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी तरंग है वो इन्हीं की वजह से है। यह भगवती पार्वती का उग्र स्वरूप है। ये स्वयं पीली आभा से युक्त हैं और इनकी पूजा में पीले रंग का विशेष प्रयोग होता है. इनको स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है. बगलामुखी का अर्थ- बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुल्हन। कुब्जिका तंत्र के अनुसार, बगला नाम तीन अक्षरों से निर्मित है व, ग, ला; 'व' अक्षर वारुणी, 'ग' अक्षर सिद्धिदा तथा 'ला' अक्षर पृथ्वी को संबोधित करता है। अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है।
कहते हैं कि पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ माता बगलामुखी की पूजा करने से बगलामुखी माता प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सारी इच्छाओं की पूर्ति करती हैं और साथ ही साथ शत्रुओं से रक्षा कर उनका नाश भी माता करती हैं ।
जब-जब ब्रह्मांड में कोई संकट आया, देवी-देवताओं ने प्रकट होकर उसे अपनी शक्ति से दूर किया। पौराणिक ग्रंथों में दशमहाविद्या यानी दस महान विद्या रूपी देवियों का जिक्र मिलता है। इन्हें पार्वती देवी के दस रूपों के रूप में जाना जाता है। माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं।
सतयुग की बात है। एक बार पूरे ब्रह्मांड में एक भयंकर तूफान उठा। वो तूफान इतना शक्तिशाली था कि उसके प्रभाव से समस्त प्राणी जगत का नाश हो जाता। इस तूफान से सभी लोकों में हाहाकार मच गया। भगवान विष्णु को जग के पालनहार के रूप में माना जाता था। सभी देव और ऋषि-मुनि विष्णुजी के पास पहुंचे। उन्होंने भगवान विष्णु से इस भयंकर तूफान को रोकने के लिए कोई उपाय करने का आग्रह किया।इस समस्या से विष्णुजी चिंतित हो गए। वह खुद अकेले इस शक्तिशाली तूफान का मुकाबला नहीं कर सकते थे। समस्या का कोई हल न पाकर वे भगवन शिव का स्मरण करने लगे, तब शिव ने प्रकट होकर उन्हें कहा की शक्ति के अतिरिक्त इस विनाश को कोई नहीं रोक सकता अतः आप उनकी ही शरण में जाए। तब भगवन विष्णु धरती पर आए और सौराष्ट्र देश (वर्तमान के गुजरात) में स्थित हरिद्रा नाम के एक सरोवर के पास पहुंचे। वहां विष्णुजी ने शक्ति को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप शुरू किया। विष्णुजी के तप से हरिद्रा सरोवर का पानी हल्दी की तरह पीले रंग में तब्दील हो गया। कुछ समय बाद सरोवर से बगलामुखी के रूप में श्रीविद्या प्रकट हुईं। विष्णुजी ने उन्हें समस्या बताई। मां बगलामुखी ने शक्तिशाली तूफान का मुकाबला किया और उसका नाश कर दिया। इस तरह मां बगलामुखी ने समस्त प्राणी जगत को नष्ट होने से बचा लिया। सरोवर के पानी का रंग पीला होने के चलते मां बगलामुखी को पीतांबरा देवी भी कहा जाता है।
माता बगलामुखी शक्तिपीठ की प्राण प्रतिष्ठा वर्ष 2017 मे पीठाधीश्वर श्री आशुतोष बगलामुखी जी महाराज के द्वारा अक्षय जीवन सिटी, कादेड़ा, चाकसू, जयपुर, राजस्थान मे की गयी I एक विशेष साधना के दौरान माँ ने उन्हें आदेश दिया कि हे पुत्र मेरा धाम अब कादेड़ा मे स्थापित करो, मै अब से वनखंडी के साथ साथ कादेड़ा मे भी वास करुँगी I इस प्रकार माँ बगलामुखी वनखंडी से चलकर कादेड़ा धाम मे प्रकट हुई